प्रस्तुत पुस्तिका ए० बी० कीथ की The Sarkhya System नामक पुस्तक का अनुवाद है। कीथ की यह पुस्तक प्राचीनता, सारगर्भितता, विशदता एवं सर्वाङ्गीण विवेचन के उपरान्त भी आङ्गल भाषा में होने के कारण सांख्य दर्शन के अध्येताओं का यथोचित ध्यान आकर्षित नहीं कर सकी। अतः इसका हिन्दी अनुवाद आवश्यक समझा गया।
विषय की विविधता के आधार पर पुस्तक को आठ अध्यायों में विभक्त किया गया है। प्रथम अध्याय में उपनिषदों में उपलब्ध सांख्य का वर्णन है। दूसरे अध्याय में सांख्य और बौद्ध दर्शन का ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन है। तीसरे अध्याय में विकसनशील महाकाव्यों में सांख्य के स्वरूप का विवेचन है। चतुर्थ अध्याय में सांख्य और योग का काल-क्रम की दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन है। पांचवें अध्याय में सांख्य के एक प्राचीन परन्तु अनुपलब्ध ग्रन्थ षष्टितन्त्र का विवेचन है। छठे अध्याय में ग्रीक और सांख्य दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन है। सातवें
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