धाराधीश विद्याव्रती परमार राजा भोज के विविध विषयक अनेक ग्रन्थ हैं। साहित्य, साहित्यशास्त्र, दर्शन, व्याकरण, कोष, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, नीति, आयुर्वेद, शिल्प, राजनीति, अश्वशास्त्र इत्यादि विषयक उनके अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय तथा निरन्तर उल्लेखनीय रहे। प्रस्तुत ग्रन्थ युक्तिकल्पतरु राजा भोज के समस्त ग्रन्थों में अद्वितीय है। इस एक ग्रन्थ में अनेक विषयों का समाहार है। राजनीति, वास्तु, रत्नपरीक्षा, विभिन्न आयुध, अश्व, गज, वृषभ, महिष, मृग, अज- श्वान आदि पशु-परीक्षा, द्विपदयान, चतुष्पदयान, अष्टदोला, नौका जहाज आदि निष्पदयान आदि के भी इस पुस्तक में संक्षेप में सारभूत तत्त्वों का सन्निवेश है। विभिन्न पालकियों और जहाजों का विवरण इस ग्रन्थ की अपनी विशेषता है। विभिन्न प्रकार के खड्गों का सर्वाधिक विवरण इस पुस्तक में ही प्राप्त होता है। इस प्रकार इस एक युक्तिकल्पतरु पुस्तक में अनेक पुस्तकों का समाहार हो गया है। अतः यह अकेली पुस्तक प्राचीनकाल से आज तक की धारावाड़ी भारतीय व्यावहारिक ज्ञानधारा का संक्षिप्त विश्वकोश ही है।
इस एक पुस्तक को पढ़कर पाठक अनेक विषयों का एक साथ ज्ञाता हो जाता है। इस प्रकार राजा भोज की यह कृति उन समस्त व्यावहारिक विषयों से परिचय कराती है जो न केवल प्राचीन काल में उपयोगी थे अपितु आज भी उनकी उतनी ही उपयोगिता है। ऐसे अद्वितीय ग्रन्थ युक्तिकल्पतरु को हिन्दी रूपांतर सहित पहली बार यहाँ प्रस्तुत किया गया है जिससे यह बहुविध ज्ञान सबके लिए सुबोध हो सके। इस पुस्तक की प्रस्तुति की है भोजसाहित्य के मर्मज्ञ साहित्य और संस्कृति के अधीत विद्वान् पुराविद डॉ० भगवतीलाल राजपुरोहित । इससे इस ग्रन्थ की प्रस्तुति की प्रामाणिकता में और अभिवृद्धि हो गयी है।
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