‘वेद’ विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ वेदों में शिल्प विज्ञान में वेदों में निहित शिल्पकला, रथविद्या, नौविमानादि यानविद्या, तारयंत्रविद्या तथा अन्यान्य कलाओं का विवेचन किया गया।
इसी प्रकार अग्नि-यंत्र, सौर-यंत्र, तार-यंत्र आदि का वर्णन भी वेदों में उपलब्ध है। वेदों में वस्त्र बुनने की कला भी चर्चा की गई है। पत्नियों द्वारा बुने हुये वस्त्र पहनने की इच्छा पति द्वारा की गयी है। अंगप्रत्यारोपण की चर्चा भी वेद में मिलती है। प्रसव न होने पर शल्य क्रिया (आपरेशन) द्वारा प्रसूति कराने का विवरण भी प्राप्त होता है। अंधों को आंखें देने का और लंगड़ों को पैर देने की कथा भी है। खंडित शरीर को पुनः जोड़ना, टूटी हड्डी को जोड़ने की कला आदि भिन्न-भिन्न कलाओं का ज्ञान वेदों में उपलब्ध है।
इस ग्रन्थ में प्राचीनकाल की शिल्पविद्या के विषय में बहुत सारे तथ्यों का समावेश किया गया जिससे सामान्य पाठकों के साथ-साथ प्राचीन काल की शिल्प विद्या के अनुसन्धित्सुओं को विशेष रूप से लाभ होगा।
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