भारतीय मंदिरों के रहस्यमय परिसरों में प्रवेश करते ही नेत्र विस्मय से विकीर्ण हो जाते हैं और समस्त इन्द्रियां मानो सचेत होकर वातावरण में व्याप्त गूढ़ रहस्यों को आत्मसात कर लेने को आतुर हो जाती हैं। एलोरा के भव्य कैलाश मंदिर का रहस्य मन को आश्चर्यचकित कर देता है। एक विशाल शिला को भव्य रूप से गढ़ कर निर्मित किये इस अद्भुत मंदिर का वास्तु, जो कि शिखर से प्रारम्भ होकर आधार तक विस्तीर्ण किया गया है, आज की उन्नत तकनीक की समझ से परे है। हम्पी के विठ्ठल मंदिर के स्तम्भ अपनी सुरम्य ध्वनियों से संगीत की एक अद्भुत दुनिया कैसे रचते हैं? इन स्तंभों से निकलने वाले सुरों का रहस्य आज भी अनुत्तरित है। वहीं, कोणार्क का सूर्य मंदिर अपने खगोलीय चक्र से समयमापन की अनूठी परंपरा का जीवंत प्रमाण है। छाया सोमेश्वर मंदिर के गर्भगृह में नृत्य करती परछाइयां और महाबलीपुरम् की विशाल दीवारों पर एक ही पत्त्थर पर उकेरी गई मूर्तियां भारतीय वास्तुकला के उत्कर्ष की अमिट कहानियां समेटे हुए हैं। खजुराहो के मंदिरों में उकेरी गई संवेदनशील और कलात्मक मूर्तियां प्राचीन कलाकारों की साहसिकता और भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक भारतीय मंदिर समय, वास्तुकला एवं संस्कृति के मूर्तिमान स्तम्भ, देश की समृद्ध धरोहर का एक ऐसा गहन अन्वेषण है, जो न केवल अद्भुत संरचनाओं की सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वास्तु कलात्मक श्रेष्ठताओं को अभिव्यक्त करता है अपितु इन मंदिरों के निर्माण के मूल औचित्य, मनुष्य के आध्यात्मिक उत्थान की प्रक्रिया के लिए निहित अनेकों प्रश्नों एवं प्रविधियों का समाधान भी प्रस्तुत करता है.
इस पुस्तक के पृष्ठों पर इन मंदिरों की नयनाभिराम वेब-छवियां मुद्रित हैं, जो इन मंदिरों की दैवीय पवित्रता और उनकी अद्वितीय वास्तुकला को जीवत करके पाठक वृंद को ईश्वरीय चेतना का अनुभव करने का अवसर भी प्रदान करती हैं।
‘भारतीय मंदिर’ पुस्तक मात्र एक विद्वत्तापूर्ण प्रयास ही नहीं, वरन् हमारे गौरवशाली अतीत की जड़ों को फिर से समझने, खोजने और उनसे जुड़ने का स्वर्णिम अवसर है। जो भी भारत की सास्कृतिक धरोहर में रुचि रखता है, उसके लिए यह पुस्तक एक अनूठी यात्रा है।
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