‘दिनेशवाग्विलासः’ प्रो. दिनेश प्रसाद पाण्डेय
की तीन कृतियों मित्रदूतम्, भारतायनम् और स्वतन्त्रतान्दोलनम् का संकलन है। मित्रताम् और भारतायनम् छंदोबद्ध रचनाएँ हैं जबकि स्वतंत्रतान्दोलनम् एक गद्यकाव्य है। ‘मित्रतम्’ मेघदूत की परम्परा में रचा गया मंदाक्रांता वृत्त में निबद्ध एक शृंगारिक खंडकाव्य है। मानवहृदय की रागात्मक अनुभूतियों को सहज सुबोध शब्दावली में अभिव्यक्त करने वाले इस गीतिकाव्य का कलापक्ष और हृदयपक्ष दोनों सहृदयहृदय को अपने आकर्षण में बाँध लेता है। ‘भारतायनम्’ अनुष्टुप छन्द में निबद्ध प्रसादगुणसंपन्न काव्य है। प्राचीन भारत के विभिन्न कालखंडों में विद्यमान राजवंशों का इतिवृत्त सरल संस्कृत में गुम्फित किया गया है। स्वयं लेखक के शब्दों में- ‘निसर्गभिन्नास्पदमेकसंस्थम्’- इसकी विशेषता है। इसमें सरलता है और अर्धगुरुता भी। प्रो. पाण्डेय की यह सरल सुबोध शैली प्राचीन इतिहास के आधारभूत ग्रंथों- पुराण, महाभारत का स्मरण कराती है। ‘स्वतन्वतान्दोलनम्’ एक इतिहासविवेचनापरक ग्रन्थ है जिसमें राष्ट्रसेवा में में समर्पित स्वतंत्रता सेनानियों के चरित का उल्लेख करते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गाथा को संस्कृत की सुकुमार शैली में गुम्फित किया गया है।
भारतीय इतिहास और संस्कृति के काव्यात्मक परिचय के साथ-साथ अपने लालित्यपूर्ण प्रयोगों से अलंकृत ‘दिनेशवाग्विलासः’ अपने लघु कलेवर में ही संस्कृत गद्य-पद्य रचना की बहुविध विशिष्टताओं को समेटे संस्कृत के सुधी अध्येताओं की सारस्वत यात्रा का पाथेय सिद्ध होगा।
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