भारतीय दर्शन का क्षेत्र बहुत व्यापक है। अवैदिक दर्शनों में मुख्यतः चार्वाक, जैन, एवं बौद्ध मतों का उल्लेख किया जाता है। उनमें से चार्वाक दर्शन के मौलिक ग्रंथ प्राप्त नहीं होते हैं तथा इतर ग्रंथों में भी उसके प्रमाण संबंधी विचारों का उल्लेख नहीं है। अतः प्रस्तुत शोध-प्रबंध में चार्वाक मत को ग्रहण नहीं किया गया है। वैदिक दर्शन में न्याय-वैशेषिक, सांख्य-योग एवं मीमांसा वेदान्त प्रमुख हैं। वेदान्त की अनेक शाखायें – प्रशाखायें हैं, किन्तु इस प्रबंध में अद्वैत वेदान्त मात्र को ही ग्रहण किया गया है क्योंकि प्रथम, वेदान्त की सभी शाखाओं में अद्वैत वेदान्त सर्वाधिक प्राचीन एवं अग्रणी हैं, दूसरे, ज्ञानमीमांसा की दृष्टि से अद्वैत वेदान्त जितनी विशदता से ज्ञान की समस्या पर विचार करता है, उतनी विशदता से अन्य कोई भी सम्प्रदाय नहीं करता। परवर्ती वेदान्तियों में कहीं-कहीं प्रामाण्य संबंधी तथ्य लक्षित भी होते हैं, तो उनमें भी अद्वैत वेदान्त की अपेक्षा कोई नवीनता प्राप्त नहीं होती। अतः पिष्टपेषण न कर, वेदान्त के प्रतिनिधि के रूप में अद्वैत वेदान्त को ग्रहण कर लिया गया है।
भारतीय दर्शन में प्रामाण्यवाद
₹795.00 Original price was: ₹795.00.₹636.00Current price is: ₹636.00.
Bhartiya Darshan Mein Pramanyawad
AUTHOR | Prof. Chhaya Sharma |
---|---|
YEAR |
2022
|
PAGES | 238 |
LANGUAGE | Hindi |
BINDING | Hardbound |
ISBN | 9788177024884 |
PUBLISHER | PRATIBHA PRAKASHAN |
Categories: Indian Philosophy, Reference Work
Tag: Indian Philosophy
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Related products
Indian Philosophy
Aesthetics
Indian Philosophy
Indian Philosophy
Indian Philosophy
Reviews
There are no reviews yet.