गोरक्ष पद्धति, घेरण्ड संहिता और हठयोग प्रदीपिका ये तीन उपयोगी ग्रन्थ योगी गोरक्षनाथ, महर्षि घेरण्ड और स्वात्माराम योगी ने अपने अनुभवों के आधार पर योग साधकों के पथ प्रदर्शन के लिये नि:स्वार्थ भाव से लिखे हैं। इन ग्रन्थों के अनेक स्थलों का अभिप्राय समझना कठिन है। यह कठिनाई दूर करने के लिये हठयोगत्रयी में इन तीनों ग्रन्थों की व्याख्या प्रस्तुत है।
गुरु की सहायता के बिना हठयोग, अष्टांग योग और राजयोग का अभ्यास करने के लिये स्वामी विवेकानन्द, महर्षि दयानन्द और उनके योगगुरु स्वामी ज्वालानन्द पुरी तथा शिवानन्द गिरि के सुझाव भी इस ग्रन्थ में दिये गये हैं।
योग के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर करने के उपाय भी योग के साधकों को इस ग्रन्थ में मिलेंगे। योग साधना से मिलने वाली सिद्धियों के बारे में। तरह-तरह के भ्रम दूर करने के लिये महामहोपाध्याय, पण्डित गोपीनाथ कविराज के विचार भी प्रस्तुत किये गये हैं। देह शुद्धि के लिये षट्कर्म, आसन, मुद्रा, प्राणायाम और दीर्घ जीवन आदि अनेक विषयों की प्रामाणिक और अनुभवसिद्ध जानकारी भी हठयोगत्रयी में मिलेगी।
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