पुस्तक परिचय
एशिआटिक सोसाइटी बंगाल के द्वारा कार्य आरंभ होते ही कई विद्वान अपनी रुचि के अनुसार भिन्न-भिन्न विषयों के शोध में लगे. कितने एक विद्वानों ने यहां के ऐतिहासिक शोध में लग कर प्राचीन शिलालेख, दानपत्र और सिक्कों का टटोलना शुरू किया. इस प्रकार भारतवर्ष की प्राचीन लिपियों पर विद्वानों की दृष्टि पड़ी, भारत वर्ष जैसे विशाल देश में लेखन शैली के प्रवाह ने लेखकों की भिन्न रुचि के अनुसार भिन्न-भिन्न मार्ग ग्रहण किये थे जिससे प्राचीन ब्राह्मी लिपि से गुप्त, कुटिल, नागरी, शारदा, बंगला, पश्चिमी, मध्यप्रदेशी, तेलुगु-कनड़ी, ग्रंथ, कलिंग तमिल आदि अनेक लिपियां निकली और समय-समय पर उनके कई रूपांतर होते गये जिससे सारे देश की प्राचीन लिपियों का पड़ना कठिन हो गया था; परंतु चार्ल्स विल्किन्स, पंडित राधाकांत शर्मा, कर्नल जेम्स टॉड के गुरु यति ज्ञान चन्द्र, डॉक्टर बी. जी. बॅबिंगटन, वॉल्टर इलिअट, डॉ. मिल, डबल्यू. एच. वॉथन्, जेम्स प्रिन्सेप आदि विद्वानों ने ब्राह्मी और उससे निकली हुई उपयुक्त लिपियों को बड़े परिश्रम से पढ़ कर उनकी वर्ण मालाओं का ज्ञान प्राप्त किया. इसी तरह जेम्स प्रिन्सेप, मि. नॉरिस तथा जनरल कनिंगहाम आदि विद्वानों के श्रम से विदेशी खरोष्ठी लिपि की वर्णमाला भी मालूम हो गई. इन सब विद्वानों का यत्न प्रशंसनीय है। परंतु जेम्स प्रिन्सेप का अगाध श्रम, जिससे | अशोक के समय की ब्राह्मी लिपि का तथा खरोष्ठी लिपि के कई अक्षरों का ज्ञान प्राप्त हुआ, विशेष प्रशंसा के योग्य है.
लेखक परिचय
महामहोपाध्याय रायबहादुर पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा
जन्म: 15 दिसम्बर, 1863
गाँव रोहेड़ा (सिरोही राज्य )
शिक्षा: एल्फिंस्टन हाई स्कूल, बम्बई से 1885 ई. में मेट्रिकुलेशन
ग्रन्थ:
• प्राचीन लिपिमाला ( 1894 ई.) सोलंकियों का प्राचीन इतिहास (1907 ई.)
• सिरोही राज्य का इतिहास (1911 ई.) राजपूताने का प्राचीन इतिहास (1925)
• उदयपुर राज्य का इतिहास, प्रथम जिल्द (1928 ई.)
उदयपुर राज्य का इतिहास, दूसरी जिल्द (1932 ई.)
• डूंगरपुर राज्य का इतिहास (1936 ई.)
• बांसवाड़ा राज्य का इतिहास (1936)
• बीकानेर राज्य का इतिहास, प्रथम जिल्द (1937 ई.)
• बीकानेर राज्य का इतिहास, दूसरी जिल्द (1940 ई.)
• जोधपुर राज्य का इतिहास,
• प्रथम जिल्द (1938 ई.) जोधपुर राज्य का इतिहास,
• दूसरी जिल्द (1941 ई.)
• प्रतापगढ़ राज्य का इतिहास (1940 ई.) • ‘ओझा निबन्ध संग्रह’ ओझाजी द्वारा समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं में लिखित निबन्धों का संग्रह 1954 ई. में दो भागों में प्रकाशित हुआ।
• कर्नल जेम्स टॉड का जीवन चरित्र (1902 ई.) भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास की सामग्री (1911 ई.), बापा रावल का सोने का सिक्का (1921 ई.), वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप (1928 ई.) तथा मध्यकालीन भारतीय संस्कृति (1928 ई. ) नामक ग्रन्थ भी ओझाजी द्वारा लिखे गये।
• अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन ।
• स्वर्गवास: 17 अप्रेल 1947 को गाँव रोहेड़ा में
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