ग्रन्थ- परिचय
वैदिक वाङ्मय में क्रम की दृष्टि से यजुर्वेद का द्वितीय स्थान है । यजुर्वेद के दो विभाग हैं कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद । कृष्ण यजुर्वेदीय उपलब्ध चार संहिताओं में कपिष्ठल-कठसंहिता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है।
प्रस्तुत ग्रंथ “कृष्ण यजुर्वेदः एक अध्ययन (कपि० क० सं० के विशेष सन्दर्भ में) पांच अध्यायों में विभक्त है। प्रथम अध्याय में कृष्ण यजुर्वेदीय शाखाओं का परिचय है। द्वितीय अध्याय में यज्ञ प्रक्रिया एवं तृतीय- अध्याय में याजक यजमान, देवता, यज्ञ-सामग्री तथा यज्ञीय पात्रों का वर्णन है । चतुर्थ अध्याय ज्योतिष विषयक उल्लेख है। पञ्चम- अध्याय में काव्य-शास्त्रीय- मूल्याङ्कन के अन्तर्गत संहिता में प्रयुक्त गद्य का स्वरूप, छन्दस्तत्त्व, अलंकार और रस की विवेचना है। परिशिष्ट के अन्तर्गत कपि० क० सं० की तुलनात्मक विषय सूची ग्रंथ को अधिक उपादेय बनाती है।
संक्षेपतः लेखक का यह अभिनव प्रयास वैदिक, विद्वानों, अनुसन्धित्सुओं एवं जिज्ञासु पाठकों के लिए नवीन सामग्री उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगा ।
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