अतीत से लेकर वर्तमान तक मानव की जीवन
यात्रा को सुन्दर, सुगम और चुनौतीपूर्ण बनाने में
नारियों ने जो योगदान किया उसका उचित मूल्यांकन
पितृ प्रधान समाज के द्वारा नहीं हो सका है। संवेदना,
प्राकृतिक अनुराग, सौन्दर्यानुभूति जैसे अनेक गुण
की समन्वय नारी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का यदि
सही आकलन किया जाय तो कहा जा सकता है
सृष्टि की सर्वोत्तम रचना ‘नारी’ है। स्त्री ने परम्परा,
तत्व ज्ञान एवं आधुनिकता के क्षितिर पर अपनी
सशक्त उपयित दर्ज करायी है। इसमें संदेह नहीं कि
स्त्री के सद्गुणों की सैद्धान्तिक स्वीकृति के स्वर
भारतीय मनीषा की कृतियों में यत्र-तत्र सुनाई भी देते
है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः‘। लेकिन
परवर्ती काल में नारी की स्थिति यहाँ तक पहुंच गयी
कि पूर्ण रूपेण पराश्रित होकर उसे ‘अबला’ तक से
सम्बोधित किया जाने लगा।
देश-काल के परिवर्तन के साथ वे कौन से हैं।
प्रमुख कारक थे जिन्होंने नारी की वैचारिक स्वतंत्रता
को अवरुद्ध किया और उनके सम्बन्ध में निर्णय लेने
का अधिकार पिता, पति एवं पुत्र को सौप दिया? यह
विमर्श का विषय है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में उपर्युक्त विषयों को दृष्टि में
रखकर नारी के अतीत से लेकर वर्तमान तक विविध
सन्दर्भो पर आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों द्वारा प्रस्तुत
किये गये लेखों को संग्रहीत किया गया है।
आशा है कि यह ग्रन्थ भारतीय नारी के अतीत
वाले पाठकों, अध्येताओं तथा गवेषकों के लिये एक
से वर्तमान तक की स्थिति को लेकर अध्ययन करने
सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में उपादेय होगा।
नारी अतीत से वर्तमान तक – Women from Past to Present
₹3,595.00 Original price was: ₹3,595.00.₹2,695.00Current price is: ₹2,695.00.
by Vipula Dubey
अतीत से लेकर वर्तमान तक मानव की जीवन
यात्रा को सुन्दर, सुगम और चुनौतीपूर्ण बनाने में
नारियों ने जो योगदान किया उसका उचित मूल्यांकन
पितृ प्रधान समाज के द्वारा नहीं हो सका है।
Categories: Anthropology, History, Reference Work
ISBN | 978-81-7702-405-0 |
---|---|
Year | 2017 |
Pages | 264 |
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