आज योग का बहुआयामी प्रसार हो रहा है। राजयोग, सहजयोग, क्रिया योग, हठयोग, यौगिक चिकित्सा आदि जन सामान्य के लिये अब रहस्यमयी नहीं रहे। इन विषयों की वैज्ञानिकता, व्यावहारिकता एवं जीवन में इसकी महत्ता पर लोगों ने ध्यान देना प्रारंभ किया है।
प्रस्तुत ग्रंथ कुण्डलिनी जागरण एवं नाद तत्व में गहन अध्ययन एवं शोध के आधार पर योग के प्रचार-प्रसार एवं महत्ता को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है।
यह पुस्तक चेतना विकास के प्रायोगिक पक्ष पर आधारित है, जिसकी परिणति सतत प्रवाहित ब्रह्माण्डीय नाद में होती है। इसमें कुण्डलिनी चेतना के विभिन्न स्वरूपों की सहज प्रस्तुति की गई है।
यह कुण्डलिनी शक्ति ही जीव का जीवत्व है, यही प्राण शक्ति, ऊर्जा शक्ति के नाम से भी प्रसिद्ध है। कुण्डलिनी शक्ति के स्वरूप वर्णन में इसे कुण्डल लगाये चमकीले सर्प एवं मूलाधार में योनि स्वरूप के रूप में अंकित किया गया है।
आशा है कि यह पुस्तक योग के विद्यार्थियों, गवेषकों एवं आचार्यों के साथ-साथ सामान्य लोगों के लिये एक संग्रहणीय ग्रंथ के रूप में भी उपादेय होगी।
कुण्डलिनी जागरण और नाद तत्व – Kundalini Jagran aur Naad Tatva
₹795.00 ₹635.00
by Dr. Manju Shukla
आज योग का बहुआयामी प्रसार हो रहा है। राजयोग, सहजयोग, क्रिया योग, हठयोग, यौगिक चिकित्सा आदि जन सामान्य के लिये अब रहस्यमयी नहीं रहे। इन विषयों की वैज्ञानिकता, व्यावहारिकता एवं जीवन में इसकी महत्ता पर लोगों ने ध्यान देना प्रारंभ किया है।
Categories: Hindi, Indian Philosophy, Medical Science, Yoga
Year | 2018 |
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Pages | 256 pp |
Size | 23cm |
ISBN | 93-85538-28-4 |
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